इस लेख में जानेंगे, क्यों वॉरेन बफेट कहते हैं — जब निवेशक डरें, तब निवेश करें। एसआईपी के फायदों, निवेश रणनीति और शेयर बाजार में गिरावट के समय सही निर्णय की पूरी जानकारी।
शेयर बाजार में निवेश करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता, खासकर तब जब बाजार में उतार-चढ़ाव हो रहा हो। हाल ही में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से भारी मात्रा में निवेश निकाल लिया है, जिसके कारण बाजार में तेज गिरावट आई है। नतीजा — लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान और छोटे निवेशकों में डर का माहौल। ऐसी स्थिति में कई निवेशकों ने अपनीएसआईपी (SIP – Systematic Investment Plan) बंद कर दी है। लेकिन क्या यह सही निर्णय है? आइए जानते हैं वॉरेन बफेट की सोच के अनुसार जब बाकी निवेशक डरते हैं, तब निवेश करना क्यों फायदेमंद होता है।
💡 एसआईपी (SIP) क्या है?
एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, एक ऐसी निवेश पद्धति है जिसमें आप नियमित अंतराल पर (मासिक या त्रैमासिक) म्यूचुअल फंड में एक निश्चित राशि निवेश करते हैं। यह तरीका खासकर उन लोगों के लिए है जो लंबी अवधि में संपत्ति बनाना चाहते हैं और बाजार की चाल को समझे बिना नियमित रूप से निवेश जारी रखना चाहते हैं।
❌ एसआईपी बंद क्यों नहीं करनी चाहिए?
जब बाजार गिरता है, तो कई निवेशक डर जाते हैं और सोचते हैं कि अभी निवेश रोक देना ही बेहतर है। लेकिन एसआईपी का असली फायदा तो बाजार के गिरने पर ही होता है।
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कम एनएवी पर ज्यादा यूनिट्स मिलती हैं – जब बाजार नीचे होता है, तो फंड का नेट एसेट वैल्यू (NAV) कम हो जाता है। ऐसे में आपको समान राशि में अधिक यूनिट्स मिलती हैं।
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लॉन्ग-टर्म एवरेजिंग का लाभ – बाजार ऊपर-नीचे होता रहता है, लेकिन एसआईपी औसत कीमत पर निवेश का फायदा देती है।
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मार्केट टाइमिंग की जरूरत नहीं – एसआईपी में आपको यह तय नहीं करना होता कि कब निवेश करें; यह अपने आप तय समय पर निवेश करती रहती है।
इसलिए, जब बाजार नीचे जा रहा हो, तब एसआईपी जारी रखना सबसे समझदारी भरा कदम होता है।
📈 शेयर बाजार में गिरावट और रिटर्न का इतिहास।
अगर हम पिछले 20 वर्षों का भारतीय शेयर बाजार का डेटा देखें, तो पाएंगे कि हर बड़ी गिरावट के बाद बाजार ने जबरदस्त रिटर्न दिया है। नीचे कुछ उदाहरण देखें —
| वर्ष | गिरावट (%) | अगले वर्ष की वृद्धि (%) |
|---|---|---|
| अप्रैल 2005 | -11% | +82% |
| मई 2006 | -13% | +30% |
| सितम्बर 2008 | -35% | +20% |
| नवम्बर 2009 | -27% | +35% |
| जून 2013 | -11% | +36% |
| नवम्बर 2016 | -10% | +27% |
| अगस्त 2019 | -10% | +20% |
| दिसंबर 2021 | -10% | +11% |
यह साफ दर्शाता है कि जब भी बाजार नीचे गया, कुछ ही महीनों में उसने बेहतर रिटर्न दिया। जो निवेशक डरकर बाजार से बाहर निकल गए, वे इन शानदार अवसरों से वंचित रह गए।
💬 वॉरेन बफेट की सोच: जब दूसरे डरें, तब खरीदें।
दुनिया के सबसे सफल निवेशक वॉरेन बफेट (Warren Buffett) का एक प्रसिद्ध कथन है:
“Be fearful when others are greedy and be greedy when others are fearful.”
(“जब लोग लालची हों, तो सावधान रहें, और जब लोग डरें, तो खरीदें।”)
इसका मतलब है कि जब बाजार में डर का माहौल होता है, तो शेयर सस्ते दाम पर उपलब्ध होते हैं। यानी वही समय होता है जब आपको सस्ते में अच्छे शेयर खरीदने का मौका मिलता है। और यही समय लंबी अवधि में सबसे ज्यादा लाभ देता है।
⚠️ अगर एसआईपी बंद कर दी तो क्या होगा?
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लो कॉस्ट एवरेजिंग का मौका छूट जाएगा – गिरावट के समय सस्ते यूनिट्स खरीदने का मौका हाथ से चला जाएगा।
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कंपाउंडिंग रुक जाएगी – जितना लंबा आप निवेश जारी रखेंगे, उतनी तेज़ी से कंपाउंडिंग काम करेगी।
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मार्केट रिबाउंड का लाभ नहीं मिलेगा – जब बाजार फिर से ऊपर जाएगा, तो आप उस ग्रोथ में शामिल नहीं होंगे।
इसलिए एसआईपी बंद करना एक भावनात्मक निर्णय है, लेकिन वित्तीय दृष्टि से गलत कदम साबित होता है।
🔍 जब बाजार अस्थिर हो, तो क्या करें?
जब शेयर बाजार ऊपर-नीचे हो रहा हो, तब घबराने के बजाय यह कदम उठाएं —
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अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें – देखें कि आपके निवेश आपके लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के अनुसार हैं या नहीं।
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डायवर्सिफिकेशन करें – निवेश को अलग-अलग सेक्टर या एसेट क्लास में बांटें ताकि जोखिम कम हो।
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लॉन्ग टर्म विज़न रखें – शेयर बाजार में पैसा रातों-रात नहीं बढ़ता, यह धैर्य मांगता है।
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रेग्युलर एसआईपी जारी रखें – बाजार चाहे गिरावट में हो या तेजी में, नियमित निवेश करते रहें।
📊 दीर्घकालिक निवेश का महत्व।
लंबी अवधि में शेयर बाजार ने हमेशा सकारात्मक रिटर्न दिया है। निफ्टी 50 इंडेक्स ने पिछले 20 वर्षों में औसतन 12–14% वार्षिक रिटर्न दिया है। अगर आप हर महीने ₹5,000 की एसआईपी 20 साल तक जारी रखते हैं (12% रिटर्न पर), तो आपको लगभग ₹50 लाख से अधिक की राशि मिल सकती है। यही कंपाउंडिंग का जादू है — जो सिर्फ निरंतरता और धैर्य से ही संभव है।
🧠 वॉरेन बफेट की रणनीति अपनाएं।
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जब बाजार में गिरावट आए, डरें नहीं, अवसर खोजें।
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हर गिरावट, निवेश का नया मौका होती है।
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अपने निवेश को दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखें।
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भावनाओं के बजाय डेटा और अनुशासन के आधार पर निर्णय लें।
डिस्क्लेमर: इस लेख में लिखी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यदि आप शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको स्वयं शेयर बाजार के बारे में सीखना चाहिए या किसी वित्तीय सलाहकार और प्रमाणित विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। शेयर बाज़ार जोखिम से भरा हुआ है। कोई भी निवेश करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
🏁 निष्कर्ष
इस लेख में हमने जाना कि वॉरेन बफेट क्यों कहते हैं — जब निवेशक डरते हैं, तब निवेश करें। बाजार की गिरावट असल में डर का नहीं, बल्कि अवसर का समय होती है। जो निवेशक एसआईपी जारी रखते हैं, वे गिरावट का भी लाभ उठा सकते हैं और दीर्घकाल में अधिक रिटर्न पा सकते हैं। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो, तो इसे लाइक, शेयर और कमेंट करें ताकि और लोग भी निवेश के इस सिद्धांत को समझ सकें।
👉 इसलिए याद रखें — निवेश में डर नहीं, धैर्य ही सफलता की कुंजी है।
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